Cybersecurity Alert: आजकल साइबर सिक्योरिटी को Cyber Criminals ने बच्चों का खेल बना दिया है। उनके इसी खेल की वजह से Dark Web पर एक मैकबुक की कीमत से भी कम रेट में दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों के डेटा का एक्सेस बिक रहा है। आजकल सुपर टेक्नोलॉजी की दुनिया में लोगों का लाइफस्टाइल काफी बदल गया है। ठीक उसी तरह
आजकल सुपर टेक्नोलॉजी की दुनिया में लोगों का लाइफस्टाइल काफी बदल गया है। ठीक उसी तरह क्रिमनल्स का भी क्राइम करने का तरीका बदल गया है, इसलिए उन्हें साइबरक्रिमनल्स कहा जाने लगा है। आय दिन कोई ना कोई साइबर क्राइम की छोटी या बड़ी खबर सामने आती रहती है। Also Read - भारत में हर 100 में से 18 लोग होते हैं Cyber Attack का शिकार, Surfshark ने कहा- बढ़ रहा है खतरा
अब एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसके मुताबिक Cyber Criminals सिर्फ एक मैकबुक की कीमत या उससे भी कम कीमत में बड़ी-बड़ी कंपनियों का एंडप्वाउंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर एक्सेस कर सकते हैं। इसे अगर सरल भाषा में समझाएं तो कोई भी यूजर डार्क वेब पर एक मैकबुक की कीमत से भी कम रेट में किसी भी बड़ी से बड़ी कंपनी का डेटा एक्सेस कर सकते हैं। Also Read - स्विच ऑफ होने पर भी हैक हो सकता है iPhone, Apple का यह खास फीचर बना वजह
दुनिया की एक जानी-मानी लोकप्रिय साइबर सिक्योरिटी कंपनी Kaspersky ने डार्क वेब पर 200 से ज्यादा पोस्ट की छानबीन की है, चोरी किए गए डेटा का विज्ञापन किया, या सभी शेप और साइज की कंपनियों तक एक्सेस की चोरी की, और पाया कि साइबर क्रिमनल्स किसी भी कंपनी के सिस्टम को एक्सेस करने के लिए (नए टैब में खोलने के लिए) औसतन $2,000 – $4,000 का भुगतान करते हैं। Also Read - Cyber Crime: सबसे ज्यादा इन देशों में होता है साइबर क्राइम, भारत Top 5 में शामिल
इन सभी के बाद आखिरकार, रैंसमवेयर ऑपरेटर अक्सर लाखों की पेमेंट्स डिमांड करते हैं। विश्लेषण किए गए 200 पोस्टों में से, अधिकांश समय बदमाश रिमोट डेस्कटॉप एक्सेस (75%) का विज्ञापन करते हैं, क्योंकि यह वायरस नहीं है, लेकिन एक डेस्कटॉप या एप्लिकेशन तक एक्सेस प्रोवाइड करता है।
इसे दूर से यानी रिमोलटली होस्ट किया जाता है, और अपराधियों को कनेक्ट करने, एक्सेस करने और सबकुछ कंट्रोल करने की सुविधा देता है। ये सबकुछ बिल्कुल वैसे ही होता है, जैसे कोई कर्मचारी किसी ऑफिस में बैठकर फिजिकली सबकुछ काफी ध्यान से और बिल्कुल ठीक करता है।
Kaspersky के एक साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट Sergey Shcherbel ने बताया कि साइबरक्रिमनल का समुदाय अब पहले से ज्यादा विकसित हो गया है। वो ना सिर्फ टेक्निकल प्वाउंट से बेहतर हुए हैं, बल्कि एक मजबूत संस्थान के रूप में भी बेहतर हो चुके हैं, जिसकी वजह से वो किसी भी साइबर क्राइम को एक सटीक प्लान के साथ अंजाम देते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 से लेकर 2021 के बीच में The Internet Crime Complaint Center (IC3) ने साइबर क्राइम से जुड़ी कुल मिलाकर 2,760,044 शिकायतें दर्ज की हैं। इन आंकड़ों में 4,66,501 केसों के साथ अमेरिका पहले नंबर पर स्थित है। जबकि दूसरे नंबर पर 3,03,949 केसों के साथ UK है।
5788 कसों के साथ कनाडा तीसरे नंबर पर है और भारत इस लिस्ट में 3,131 केसों के साथ चौथे नंबर पर है। पाकिस्तान और चीन का नंबर इस लिस्ट में भारत से काफी बाद है। साइबर क्राइम से पीड़ित इन 5 देशों के अलावा, दूसरे देशों में ऐसे क्राइम से जुड़े केवल 25,000 केस ही दर्ज किए गए हैं।
Cybersecurity का खुलेआम उड़ रहा मजाक, Dark Web से बिल्कुल सस्ते में बिक रहा कंपनियों का डेटा View Story